13वा गोपी जी भट्ट स्मृति संगीत समारोह का समापन
जयपुर(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज़)। संगीत, नाटक, कला, विरासत, धरोहर यही से आरंभ होता है, संस्कृति को साकार करने का सामंजस्य। अवसर था 13वा स्व. गोपी जी भट्ट स्मृति संगीत नाट्य समारोह का समापन दिलीप भट्ट के गायन से हुआ।तमाशा की महक और सुगंध और मधुर गायन से एक बार फिर गोपी जी की याद को जीवित किया “शिव महिमा” के गायन से जिसमे शिव के रूपो को पेश किया शिव का गुणगान किया।
कई रागों का समावेश कर रविंद्र मंच के स्टूडियो थियेटर में घुंघरू की आवाज, तबले की थाप और तमाशा की बंदिशों की गूंज से श्रोतागण रूबरू हुए तमाशा शैली से जो स्व. गोपी जी की याद में दिलीप भट्ट ने पेश की तमाशे के मूर्धन्य कलाकार गोपी जी भट्ट ने अपने बेटे को गुरु–शिष्य परम्परा के अनुसार तैयार किया और तमाशे को जिन्दा रखने का प्रण भी किया तमाशा लुप्त ना हो रगो में तमाशा की ललक रहनी चाहिए उसी तमाशे को साकार किया दिलीप भट्ट ने “शिव महिमा” के रूप में तमाशा शैली में गणेश वंदना और लहरिया से आरंभ हुआ और नृत्य गायन में काले भुजंग सिर धरे एक जोगी आया है और रंगीला शंभो गौरा न ले पधारो उसके बाद हर हर महादेव शंभू काशी विश्वनाथ शंभो जैसी रचनाओं से सभागार को बड़े भावपूर्ण गायन से दर्शकों को आनन्दित किया तमाशा शैली एक अपने आप में एक अनूठी लोक कला है जिसे जीवंत कर रखा है भट्ट परिवार के कलाकारों ने।
यह आयोजन परम्परा नाट्य समिति द्वारा किया गया इस शिव महिमा में संवाद भी हुआ जिसमें मनोज त्रिवेदी मशहूर कार्टुनिस्ट ने तमाशा साधक दिलीप भट्ट से नाट्य, अभिनय, संगीत, तमाशा जीवन शैली और परम्परा पर बात चीत की ओर तमाशा को बचाए रखने में योगदान पर चर्चा हुई। प्रस्तुति में तबले पर शैलेंद्र शर्मा, हरमोनियम पर शेर खान और सारंगी पर मनोहर महावार ने संगत की। गायन में साथ हर्ष भट्ट, सचिन भट्ट ने दिया प्रकाश नरेंद्र बब्बल और शहजोर अली ने संभाली व वेशभूषा विजय लक्ष्मी भट्ट और सहायक रहे सचिन भट्ट। यह कार्यक्रम दिलीप भट्ट के निर्देशन में हुआ और कलाकारों का सम्मान भी किया गया।