
माताजी गोशाला में तीसरे दिन की कथा में माता के स्वरूपों पर चर्चा
नवरात्रि के नौ दिन करना चाहिए मानस का पाठ
बरसाना (ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। श्री रामचरित मानस में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के तीन तीन रूपों का उल्लेख मिलता है, इन्ही से मिलकर मानस की नवरात्रि होती है। इसलिए साधक को नवरात्रि के दौरान मानस का पाठ करना चाहिए। शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिवस पर मानस गौसूक्त आधारित श्रीराम कथा के तीसरे दिन प्रवक्ता मोरारी बापू ने यह बात कही।
बरसाना की माताजी गोशाला में ब्रज के विरक्त संत पद्मश्री रमेश बाबा महाराज के सानिध्य में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन प्रख्यात रामकथा प्रवक्ता मोरारी बापू ने श्री राधारानी की स्थली बरसाना की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज हम बरसाना में है इसलिए देवता भी हमारे भाग्य की सराहना करते होंगे। हमें भूतकाल की ओर देख कर उलझना नहीं चाहिए और न ही अनंत भविष्य की चिंता करनी चाहिए, जो सीमित अवधि का हमारा वर्तमान यानी जीवन है इसे राधे राधे भजने में लगाना चाहिए।
नवरात्रि के अवसर पर माता के स्वरूपों पर बोलते हुए बापू ने कहा कि हमारी जननी माता है, जन्मभूमि माता है, गीता माता है, गंगा माता है, गायत्री स्वरूपा रामायण भी माता है, सीता माता हैं, सती माता हैं और गौ भी हमारी माता हैं।
गौमाता की महत्ता पर चर्चा करते हुए बापू ने बताया कि गौ के सोलह लक्षण गुरु के सोलह लक्षणों के समान होते हैं अतः गौ हमारी सच्ची गुरु है। बापू ने पद्म पुराण के प्रसंग से बताया कि खेत में चरती हुई गाय को हटाने मात्र के अपराध के कारण राजा जनक जैसे उच्चकोटि के भक्त को भी नर्क का दर्शन करना पड़ा था। साथ ही बापू ने ऋषि च्यवन और राजा नहुष के प्रसंग से गौ माता की महत्ता समझाई।
बापू ने राम कथा में महर्षि याज्ञवल्क्य और महर्षि भारद्वाज के संवाद का प्रसंग और ऋषि मार्कण्डेय तथा भगवान विश्वनाथ के संवाद का प्रसंग सुनाया। कथा में आगे बापू ने माता सती द्वारा प्रभु श्री राम की परीक्षा लेने का प्रसंग सुनाया। कथा सुनकर श्रोता भाव विभोर हो उठे। कथा के मध्य में राधे राधे के कीर्तन के दौरान मान मंदिर गुरुकुल के बालकों को झूमते देख कथा पंडाल राधे राधे के जयघोष से गूंज उठा।
कथा में तीसरे दिन गीता मनीषी महामंडलेश्वर ज्ञानानंद महाराज, संत नरहरि दास महाराज, राजस्थान के देवस्थान विभाग के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत, राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम, मान मंदिर सेवा संस्थान के अध्यक्ष रामजीलाल शास्त्री, कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री, सचिव सुनील सिंह ब्रजदास, माताजी गौशाला के संयोजक राजबाबा, रामकथा के आयोजक हरेश एन संघवी, समाजसेवी वीना हरेश संघवी, निकुंज संघवी, नीलिमा संघवी, अवनी संघवी, जिला पंचायत सदस्य संजय सिंह, हिमांशु आदि उपस्थित रहे।