
विवेक दत्त मथुरिया
बरसाना(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। आठ मार्च दुनिया भर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया भर में आयोजित जलसों में महिला सशक्तिकरण की जबरदस्त पैरोकारी की जाती है और महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। साल में एक दिवसीय इस आयोजन की रश्मअदायगी के बाद सामान्यतः महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करने लगते है, अगर अपवादों की बात छोड़ दी जाए। सुदूर अतीत में नजर डालें तो भारतीय सनातन परंपरा में महिला सशक्तिकरण का अद्वतीय प्रमाण द्वापर में मिलता है, जो आज के आधुनिक महिला सशक्तिकरण से हजार गुना प्रगतिशील नजर आता है।

ब्रज में राधा नाम की सत्ता नारी सशक्तिकरण का अद्वतीय उदाहरण है। जिसके अगुवा महानायक श्रीकृष्ण है। जिसकी जीवंत झलक आप बरसाना की विश्व विख्यात लठमार होली के रूप में देख सकते हैं। यह विलक्षण संयोग है कि बरसाना की प्रसिद्ध लठामार होली आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन पड़ रही है। द्वापर में श्रीकृष्ण द्वारा शुरू की गई लठामार होली उसका उसका प्रमाण है।

ब्रज में राधे राधे का उदघोष महिला स्वतंत्रता और सशक्तिकरण का ही संदेश हैं। क्योंकि श्रीराधा ही कृष्ण की आराध्य शक्ति हैं। बरसाना-नंदगांव की लठामार होली, जिसकी एक झलक पाने को हर कोई उत्सुक और लालायित रहता, क्या देशी और क्या विदेशी। ब्रज का धर्म और संस्कृति प्रेम है। प्रेम की शक्ति असीम होती हैं। प्रेम ही है जो सामाजिक और राजनीतिक रूपांतरण की ताकत पैदा करता है। बरसाना नंदगांव की लठामार होली नारी सशक्तिकरण के सामाजिक रूपांतरण का अनुपम उदाहरण है।

ब्रज गोपियों द्वारा प्रेम पगी लाठियों के ज़ोरदार सामूहिक प्रहार और ढाल से उन प्रहारों से बचाव करते ब्रज के गोप ग्वाल, यह रोमांचक नजारा देखते ही बनता है। ढालों पर तड़ तड़ातड़ प्रहारों का समवेत नाद समूचे वातावरण को दिव्य और भव्य बना देता है। कहते हैं कि लठामार होली की एक झलक पाने को सूर्य चंद्रमा भी कुछ पल के लिए ठहर जाते हैं। इसकी अनुभूति बरसाना की लठामार होली को देखने पर स्वतः ही होगी।

बरसाना की लठामार होली में निहित नारी सशक्तिकरण के संदेश को अभिव्यक्त करते हुए ब्रजाचार्य श्रीगोपाल भट्ट जी ने अपने ग्रंथ ‘लाख बार अनुपम बरसानौ’ में लिखा है कि
‘अनुपम होली होत है यहाँ लठ्ठन की सरनाम!
अबला सबला सी लगे यूँ बरसाने की वाम!
लठ्ठ धरे कंधा फिरे जब ही भगाबे ग्वाल!
जिम महिषासुर मर्दनी रण में चलती चाल!’
