केएम में हुआ शिक्षा,साहित्य और समाज पर व्याख्यान
साहित्यकार शिवमूर्ति ने छात्र-छात्राओं के बताया शिक्षा, साहित्य और समाज का महत्व
मथुरा (ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। साहित्य की ओट में ही काल विशेष की विशेषता छिपी रहती है, जिसे समय-समय पर साहित्यकार उद्घाटित करता है। शिक्षा जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर कर हमारे जीवन में सामंजस्य स्थापित करती है तथा आत्मनिर्भर बनाती है। शिक्षित समाज ही उन्नति-प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है। साहित्य शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह साहित्य विभिन्न सांस्कृतिक विरासतों, ट्रेडिशंस, इतिहास, कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा करता है। यह उद्गार प्रसिद्ध साहित्यकार शिवमूर्ति ने केएम विश्वविद्यालय के लैक्चर थियेटर में आयोजित शिक्षा, साहित्य और समाज विषय पर अतिथि-व्याख्यान में कही।
कृष्ण मोहन विश्वविद्यालय में शिक्षा, साहित्य और समाज विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि साहित्यकार शिवमूर्ति, बीएसए कालेज के पूर्व प्रवक्ता डॉ. अशोक बंसल, सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार, एसपी सुरक्षा बीबी चौरसिया, विवि के प्रो. वीसी डॉ. शरद अग्रवाल, रजिस्ट्रार पूरन सिंह, सब-रजिस्ट्रार सुनील अग्रवाल, परीक्षा नियंत्रक मनोज कुमार ओझा एवं डॉ. धर्मराज ने सरस्वती मां के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित करके किया। इस दौरान विवि के शिक्षकों ने मुख्यअतिथियों का माल्यार्पण व पटुका पहनाकर स्वागत किया।
साहित्यकार शिवमूर्ति ने छात्र-छात्राओं को शिक्षा, साहित्य एवं समाज पर प्रकाश डालते हुए समझाने का प्रयास किया कि विद्या नहीं तो कला नहीं, कला नहीं तो संगीत नहीं रखने वाला मनुष्य एक जानवर के सामान है, इसलिए शिक्षा नहीं तो साहित्य कहा, साहित्य नहीं तो समाज का निर्माण नहीं हो सकता है। विद्वान की पूजा पूरे विश्व में होती है।
पूर्व प्रवक्ता डॉ. अशोक बंसल ने कहा प्रतिदिन पढ़े-लिखे और बोलने वाला हर छात्र जगत में चमकता है। जैसा समाज होता है वैसा ही हमारा साहित्य होता है। इस दौरान विद्यार्थियों तथा उपस्थित प्रोफेसर्स के जिज्ञासापूर्ण सवालों के जबाव दिए भी उन्होंने दिए।
सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार ने कहा कि शिक्षा का समाज में हमेशा विशेष महत्व है, विद्या हमें संस्कार, नम्रता और धीरज सिखाती है, यदि शिक्षा प्रणाली अच्छी हो तो समाज का निर्माण अच्छा होता है। एसपी सुरक्षा बीबी चौरसिया ने साक्षरता और शिक्षा के महत्व को समझाते हुए कहा कि शिक्षा वह है जो आप पढ़कर घर जाने पर, जो याद रह जाता है, वह शिक्षा है, अन्यथा आप साक्षर बन रहे हैं। व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं के चक्कर में शिक्षा छूट जाए यह गलत है।
कार्यक्रम में विवि के समस्त विभागों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, जिसमें डीन ऑफ फैकल्टी डॉ. धर्मराज ने कहा साहित्य के माध्यम से विद्यार्थी में एक विस्तृत दृष्टिकोण विकसित होता है, जो उन्हें समाज और संस्कृति के उच्च फलक व मानक पर बिठाने का कार्य करता है। कुलसचिव पूरन सिंह ने कहा कि जीवन के उच्चतम मानकों को समझने में शिक्षा, साहित्य और समाज मदद करते हैं तथा छात्रों को विभिन्न विचारों व मतों के प्रति समझदार बनाते हैं।
इस अवसर पर सीईओ डॉ. मनोज ओझा, असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुनील अग्रवाल, विभागों के प्रोफेसर्स डॉ. सुनील कुमार सिंह, प्रो. शैलेन्द्र शर्मा, प्रो. चन्देश कुमार, प्रो. जगवीर सिंह, प्रो. संजू बाला, प्रो. सुमित शर्मा, डॉ. विपिन सोलंकी, डॉ. संतोष चतुर्वेदी, प्रो. पंकज सारस्वत, प्रो. करन सिंह, प्रो. रूप शर्मा, प्रो. साधना कटियार, प्रो. बेदवीर सिंह, प्रो. अभिषेक, प्रो. ललित सिंह, प्रो. भूपेंद्र सिंह, प्रो. नेत्रपाल सिंह, प्रो. राजकुमार, प्रो. मनीष सिंह आदि उपस्थित रहे।