मुक्त आकाशीय रंगमंच का नामकरण हो शैलेंद्र के नाम पर
विवेक दत्त मथुरिया
मथुरा (ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। शैलेंद्र विचारोंं की खान और संवेदनाओं के सागर थे, जिसे अपनी ज़मीन और जमीर दोनों से बेइंतहा मोहब्बत थी पर जब वो गीत लिखते थे तो दुनिया के परिदृश्य में चल रही घटनाओं के साथ-साथ उनकी महीन संवेदनाओं को भी अपने शब्दों से बुनते थे।
उक्त विचार रविवार को एक स्थानीय होटल में जन सांस्कृतिक मंच, भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) और जनवादी लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में मशहूर गीतकार शैलेंद्र की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में पधारे डॉ आनंद त्रिपाठी, सीपी सिंह सिकरवार और राजेन्द्र कृष्ण अग्रवाल ने अपने उद्गार व्यक्त किए।
मथुरा से शैलेन्द्र के रिश्ते को सामने लाने वाले लेखक डॉ. अशोक बंसल ने कहा कि शैलेंद्र अकेले ऐसे गीतकार थे, जो दर्द और प्रेम को एक साथ अपने गीतों में अभिव्यक्त कर जनता के बीच लोकप्रिय हुए। शैलेंद्र अपने बचपन के दोस्त बाबू लाल, भारत और द्वारिका को कभी नहीं भूल पाए। लोक गीत की एक धुन उनके दिल में सदैव बजती रहती थी, परिणामस्वरूप उनकी कलम से श्रम और प्रेम के गीत एक साथ निकले, जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुए।
समाजसेवी और उद्योगपति दीपक गोयल की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया कि मुक्तआकाशीय रंगमंच का नामकरण स्व.गीतकार शैलेंद्र के नाम पर किया जाए। शैलेन्द्र का मथुरा से एक अटूट रिश्ता है। इस मौके पर इप्टा के कलाकारों द्वारा शैलेन्द्र के सदाबहार गीतों की प्रस्तुति ने शाम को बेहद मनोहारी बना दिया। उनकी स्मृति में पोस्टर प्रदर्शनी अशोक दुबे और आलोक सैनी के द्वारा बनाए शैलेंद्र के गीतों पर आधारित प्रदर्शित किए गए। शैलेंद्र पर बनी एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख रुप से मौजूद लोगों में डॉ आरके चतुर्वेदी, प्रीति अग्रवाल, लेखक संघ के अध्यक्ष टिकेद्र सिंह “शाद”, इप्टा के अध्यक्ष योगेश शर्मा, पत्रकार विवेक मथुरिया, रवि भारद्वाज, नीतू गोस्वामी, डॉ मेनिका गुप्ता, डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ सोनम यादव, अंजू मिश्रा, साजन चतुर्वेदी, मनोज राठौर, सौरभ इंसान, आकाश शर्मा, कैलाश वर्मा, कुलदीप, रचना आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शानदार संचालन डॉ विजय शर्मा ने और आभार जन सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष मुरारीलाल अग्रवाल ने दिया।