बरसाना की माताजी गोशाला में तीसरे दिन की श्रीमद्भागवत कथा संपन्न
बरसाना(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। प्रेम भी एक बंधन है लेकिन यह स्वीकार किया हुआ बंधन है न कि जबरन लादा हुआ बंधन, इसलिए प्रेम का बंधन अनूठा बंधन माना गया है। स्वयं भगवान भी इस बंधन को स्वीकार करते हैं, जब यशोदा मैया ने लाला को बांधना चाहा तो वे बंध गए, प्रेम का यह बंधन परम आनंद प्रदान करता है। यह उद्गार प्रख्यात श्रीमद्भागवत प्रवक्ता रमेश भाई ओझा ने माताजी गोशाला में कथा सुनाते हुए व्यासपीठ से व्यक्त किए।
गुरुवार को बरसाना की माताजी गोशाला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा प्रवक्ता रमेश भाई ओझा ने अपनी अमृतमयी वाणी से श्रीराधिकाजी और नंदनंदन श्रीकृष्ण की प्रेम लीलाओं का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
भाईजी ने कहा कि श्रीराधाजी का नाम सुनना ठाकुरजी को अत्यंत प्रिय है इसलिए राधा नाम सुनने के लोभ से कन्हैया पीछे पीछे चले आते हैं। सामान्य दृष्टि से देखने पर लोग कहते हैं कि भागवत कथा में राधाजी दिखती नहीं हैं, क्योंकि राधा गोपी हैं, गोपन हैं, गोपनशीला हैं, छुपी हुई हैं। श्रीराधा न होतीं तो भागवत की रचना ही न हुई होती। राधाजी शुकदेवजी की दीक्षा गुरु हैं। राधाजी की कृपा की एक दृष्टि पड़ जाए तो जीवन धन्य हो जाए।
आगे कथा सुनाते हुए भाईजी ने सगुण साकार ब्रह्म, अवतारवाद की अवधारणा जैसे दार्शनिक विषयों को समझाते हुए शुकदेवजी का प्रसंग सुनाया। रामराज्य के लक्षणों पर चर्चा करते हुए भाईजी ने कहा कि रामराज्य में काल, कर्म, स्वभाव और गुण से कोई भी दुखी नहीं होता था। रामराज्य की राजनीति साम और दाम के दो चरणों पर ही आधारित थी, राजनीति के अन्य दो चरणों दंड और भेद की रामराज्य में आवश्यकता ही नहीं थी।
संध्या काल में सीताराम विवाहोत्सव कार्यक्रम में बक्सर वाले श्री नारायण भक्तमाली मामाजी की बेटी सिया दीदी और उनके सहयोगियों के द्वारा श्रीराम जन्मलीला का सरस मंचन किया गया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के संत रामबालक दास महाराज, रमाकांत गोस्वामी, हरिमोहन गोस्वामी, रामकटोर पांडेय, नृसिंह बाबा, मान मंदिर सेवा संस्थान के अध्यक्ष रामजीलाल शास्त्री, कार्यकारी अधिकारी राधाकांत शास्त्री, सचिव सुनील सिंह ब्रजदास, माताजी गोशाला के संयोजक ब्रजशरण दास बाबा, पद्मेश गुप्ता, अनुराधा गुप्ता आदि उपस्थित रहे।