माताजी गोशाला में पद्मश्री संत रमेश बाबा के सानिध्य में चल रही दूसरे दिन की कथा संपन्न
बरसाना(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। अविरल बहने वाली श्रीकृष्ण प्रेम की धारा का नाम ही राधा है। श्रीकृष्ण की आराधिका ही राधिका है। वास्तव में श्रीराधाजी के बिना आराधन संभव ही नहीं है। यह उद्गार प्रख्यात भागवत प्रवक्ता रमेश भाई ओझा ने माताजी गोशाला में व्यासपीठ से व्यक्त किए।
बुधवार को बरसाना की माताजी गोशाला में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा और सीताराम विवाहोत्सव कार्यक्रम के दूसरे दिन कथा प्रवक्ता रमेश भाई ओझा ने ब्रज की महिमा का वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सेवा का महत्व और सेवक के लक्षण समझते हुए भाईजी ने कहा कि प्रेमपूर्वक सेवा में सेवक को सेव्य का चिंतन और उसी के सुख की चिंता करनी चाहिए। सेवक यदि सेवा से सुख लेना शुरू कर दे तो वह सेवा भोग हो जाती है वहीं अपने सेव्य को सेवा से सुखी देखकर सेवक को जो सुख मिलता है वह प्रसाद हो जाता है।
ब्रजभूमि का वर्णन करते हुए भाईजी ने कहा कि ब्रज वसुंधरा करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां का कण कण श्रीराधा और कृष्ण की लीलाओं का साक्षी है। ब्रज का जो सौंदर्य आज नजर आता है वह महापुरुषों की वजह से संभव है। ब्रज के दिव्य पर्वतों और अन्य लीलास्थलियों के संरक्षण में ब्रज के विरक्त संत पद्मश्री रमेश बाबा महाराज का बड़ा योगदान है। बाबा ने लंबे समय तक संघर्ष करके पर्वतों को नष्ट होने से बचाया है। बाबा ने ब्रज में बहुत सी लीलास्थलियों का जीर्णोद्धार कराया है। कुछ लीलास्थलियां तो लुप्त हो गई थीं जिनका पुनः प्राकट्य भी बाबा महाराज के सद्प्रयासों से संभव हो पाया है। बाबा ने यमुना जी की मुक्ति के लिए भी हर संभव संघर्ष किया है।संध्या के सत्र में बक्सर वाले श्री नारायण भक्तमाली मामा जी की बेटी सिया दीदी और उनके सहयोगियों के द्वारा सीताराम विवाह महोत्सव लीला का सरस मंचन किया गया।
इस दौरान डॉ. नरेश शर्मा, विश्व हिंदू परिषद के गौरक्षा प्रमुख दिनेशजी, नृसिंह बाबा, भक्त शरण बाबा, सुरेश चंद्र शास्त्री, संतराम दास बाबा, राधा प्रिय, मान मंदिर सेवा संस्थान के अध्यक्ष रामजीलाल शास्त्री, कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री, सचिव ब्रजदास सुनील सिंह और माताजी गोशाला के संयोजक ब्रजशरण दास आदि उपस्थित रहे।