
मुंशी प्रेमचंद्र की जयंती पर जलेस की गोष्ठी आयोजित
मथुरा(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज़)। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर जनवादी लेखक संघ (जलेस), मथुरा इकाई द्वारा गुरुवार को एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ‘प्रेमचंद की दृष्टि: जनता, जनमत और जनविरोध’, विषय पर चर्चा की गई। गोष्ठी में वक्ताओं ने प्रेमचंद के साहित्य की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
गोष्ठी की अध्यक्षता जलेस अध्यक्ष टिकेंद्र सिंह शाद ने की, जबकि संचालन जलेस सचिव डॉ. धर्मराज ने किया। वक्ताओं ने कहा कि प्रेमचंद ने जिस भारतीय समाज का चित्रण अपने उपन्यासों और कहानियों में किया था, वह आज भी हमारे बीच मौजूद है। उनके पात्र केवल साहित्यिक नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन के जीवंत प्रतीक बन चुके हैं।
कार्यक्रम में अंजू मिश्रा, माधव चतुर्वेदी, मुंबई से पधारे फ़िल्म कास्टिंग डायरेक्टर वेद भारद्वाज मिंटू, अभिनेता जीत चौधरी बंटी, निहारिका चतुर्वेदी और पत्रकार विवेक दत्त मथुरिया आदि ने विचार रखे।
वक्ताओं ने कहा कि प्रेमचंद के लेखन में शोषण के विरुद्ध जनप्रतिरोध की चेतना स्पष्ट दिखाई देती है। वे जनमत के लेखक थे, जिन्होंने साहित्य को जनता के पक्ष में खड़ा किया। प्रेमचंद के पात्र आज भी हमारे आसपास मौजूद हैं—होरी, धनिया, हल्कू या हमीद, ये सब आज की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में नए रूपों में सामने आते हैं।
गोष्ठी में यह भी रेखांकित किया गया कि प्रेमचंद ने केवल कथा साहित्य ही नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की जमीन भी तैयार की थी। आज जब लोकतंत्र के समक्ष नई चुनौतियाँ खड़ी हैं, तब प्रेमचंद के विचार और लेखन पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।
