
माताजी गोशाला में नौ दिवसीय श्रीरामकथा का समापन
बरसाना(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज़)। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कलियुग में यज्ञ, जप और तपादि करना हर किसी के लिए संभव नहीं है इसलिए मनुष्य को प्रभु की कृपा पाने के लिए मात्र तीन कार्य करने चाहिएं, पहला राम नाम का सुमिरन करना, दूसरा संतों की वाणी को सुनना और तीसरा श्रीराम का गुणगान करना।
रविवार को बरसाना की माताजी गोशाला में आयोजित अथर्ववेद के गौ सूक्त के संदर्भ से मानस आधारित नौ दिवसीय श्रीरामकथा के समापन के समय व्यासपीठ से बोलते हुए प्रख्यात श्रीरामकथा प्रवक्ता मोरारी बापू ने यह बात कही।
बापू ने अथर्ववेद के गौ सूक्त के एक मंत्र को समझाते हुए कहा कि ऋषि प्रार्थना करता है कि गौ हमारे आंगन में अपनी वंश वृद्धि करे। हम गाय को अच्छा चारा खिलाएं, अच्छे सरोवर बनवाएं जहां गाय जल पी सके। ऋषि रुद्र भगवान से प्रार्थना करता था कि गाय पर रुद्र की कृपा रहे और कोई गाय की चोरी या हत्या न करे। बापू ने कहा कि गाय की पूंछ प्रेम की प्रतीक है। गाय के चार चरण चार धाम हैं। ब्रज की रज में बना गाय के चरण के चिन्ह को साक्षात चारों धाम मानना चाहिए। गाय के चार आंचल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का स्वरूप हैं। गौमाता की कृपा एक ओर कामनाओं की पूर्ति करती है तो दूसरी ओर कामनाओं से मुक्त भी करती है।
बापू ने आगे कहा कि जहां श्रीराम हैं वह वन भी भवन हो जाता है और प्रभु श्रीराम के बिना भवन भी वन के समान है। बापू ने श्रीराम विवाह से शुरू करके प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक की कथा का वर्णन किया। बापू ने कहा कि महापुरुषों को न स्वर्ग जाना है न ही मोक्ष की कामना करनी है, उन्हें तो मात्र अपने श्रोता के हृदय तक जाना है।
कथा समापन के समय बापू ने सभी के मंगल की कामना करते हुए ब्रजभूमि और ऊंची अटारी वाली श्रीराधा रानी को बार बार नमन किया। बापू ने श्रीराधारानी को स्मरण करते हुए कहा कि बरसाना में कथा सुनाते समय आत्मा नृत्य करती महसूस होती है। कथा सुनाते हुए एक ओर लगता है कि काफी कुछ कह सुनाया लेकिन दूसरी ओर लगता है कि कहने को बहुत कुछ बचा है। बरसाना के रत्नागिरी पर्वत पर नौ दिन का प्रवास करके जो सुख मिला अवर्णनीय है। मन प्रसन्न रहा पर लगता है मन भरा नहीं। बरसाना में वर्ष में एक कथा होनी ही चाहिए।
नौवें दिन की कथा में ब्रज के विरक्त संत पद्मश्री रमेश बाबा महाराज, बनारस के जगद्गुरु सतुआ बाबा, कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण, किसान नेता भानु प्रताप सिंह, मान मंदिर सेवा संस्थान के अध्यक्ष रामजीलाल शास्त्री, कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री, सचिव सुनील सिंह ब्रजदास, माताजी गौशाला के संयोजक राजबाबा, नरसिंह दास बाबा, रामकथा के आयोजक हरेश एन संघवी, समाजसेवी वीना हरेश संघवी, निकुंज संघवी, नीलिमा संघवी, अवनी संघवी, हिमांशु आदि उपस्थित रहे।
