
फिल्म समीक्षा: विवेक दत्त मथुरिया
जब आज आदमी आदमी से सहमा हुआ है, तब ऐसे सिमटे हुए उदासीन माहौल में मोहब्बत के पैगाम से गंगा जमुनी तहजीब की निर्मल धारा से तनमन को शीतलता प्रदान करती फ़िल्म ‘इन गलियों में’ बरबस ही नफरत के खिलाफ सद्भाव का संदेश देती है।
फिल्म समीक्षकों को महाबजट की फिल्मों के बीच यधुनाथ प्रोडक्शन, अविनाशदास निर्देशित और पुनर्वसु द्वारा लिखी गईं फ़िल्म छोटा भीम की तरह है। यह फ़िल्म कॉमर्शियल फिल्मों के बीच इस भरोसे को मजबूत करती है कि सरोकारों से जुडी प्रतिबद्घता हो संसाधनो का अभाव कोई मायने नहीं रखता। यह फ़िल्म इस बात की भी तस्दीक करती है कि एक अच्छी कहानी, सफ़ल निर्देशन औऱ कसा हुआ अभिनय दर्शकों को चुम्बक की तरह बांधे रखता है। इन सभी कसौटियों पर फ़िल्म ‘इन गलियों में’ संदेश और मनोरंजन की दृष्टि से एक सफल फ़िल्म है।
प्रोड्यूसर जदूनाथ फिल्म्स
निर्देशक अविनाश दास
पटकथा संवाद एवं गीत पुनर्वसु
एक गीत यश मालवीय का भी ईद वाला
संगीत अरमान मलिक
अभिनेता जावेद जाफरी, विवान शाह, अवंतिका, इश्तियाक अहमद आदि हैं।