
माताजी गोशाला में श्रीरामकथा के दूसरे दिन कथा सुन श्रोता हुए भाव विभोर
बरसाना(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। दान तीन प्रकार के बताए गए हैं उत्तम, मध्यम और सामान्य। उत्तम दान में किसी को भूमि का दान देना, किसी के लिए घर बना कर देना, किसी को स्वर्ण का दान देना या किसी को विद्या का दान देना आदि का वर्णन मिलता है लेकिन गौ का दान और गाय के लिए किया गया दान सबसे श्रेष्ठ कहा गया है। यह विचार प्रख्यात श्रीराम कथा प्रवक्ता मोरारी बापू ने श्रीरामकथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से बोलते हुए व्यक्त किए।
रविवार को बरसाना की माताजी गोशाला में चल रही नौ दिवसीय श्रीरामकथा के दूसरे दिन कथा प्रवक्ता मोरारी बापू ने मानस गौसुक्त विषय आधारित श्रीरामकथा प्रसंग के दौरान श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बरसाना की पुण्य भूमि की वंदना करते हुए बापू ने कहा कि वरदान से सनी हुई भूमि ही बरसाना है।अथर्ववेद के गौ सूक्त के एक श्लोक को समझाते हुए बापू ने कहा कि गौमाता रुद्रों की मां है, वसुओं की पुत्री हैं और आदित्यों को बहन है। गौ अमृत का केंद्र और साक्षात् औषधियों का श्रोत है, गाय का वध नहीं होना चाहिए।
बापू ने आगे कहा कि गौमाता के अंग में लक्ष्मी का वास होता है, गौमाता की पुकार पर परमात्मा अवतार धारण करते हैं। मानस में गोस्वामीजी ने पचास से अधिक बार किसी न किसी रूप में गौमाता का उल्लेख किया है। प्राचीन काल में गाय ही देश का अर्थशास्त्र थी। बापू ने आग्रह किया कि हर गांव में ये पांच शालाएं अवश्य होनी चाहिएं। पाठशाला, व्यायामशाला, धर्मशाला, भोजनशाला और सबसे महत्त्वपूर्ण गौशाला।
शब्द ब्रह्म है और अशब्द यानी मौन परब्रह्म है वहीं अपशब्द माया है इसलिए बोलने के समय शब्द चयन संभल कर करना चाहिए। गीता में योग है वहीं मानस में प्रयोग है। रामचरित मानस के बारे में बताते हुए बापू ने कहा कि संवत 1631 में रामनवमी के दिन अयोध्या में मानस का प्राकट्य गोस्वामी तुलसीदासजी के द्वारा हुआ।
दूसरे दिन की कथा में बनारस के संत जगतगुरू सतुआ महाराज, वृन्दावन के कृष्णचंद्र ठाकुरजी, मान मंदिर सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री, मान मंदिर सेवा संस्थान के सचिव सुनील सिंह ब्रजदास, माताजी गोशाला के संयोजक राजबाबा, श्रीरामकथा आयोजक उद्योगपति हरीश एन सिंघवी आदि उपस्थित रहे।
