-“हमारे समय में गांधी” विषय पर आयोजित गोष्ठी संपन्न
मथुरा (ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। गांधी जी ईश्वरवादी थे, आस्तिक थे, धार्मिक थे किन्तु कर्मकांडी नहीं थे, उनका मानना था कि ईश्वर ही सत्य है और वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे, इसीलिए वो व्यक्ति की चिंता करते थे। आज यदि सत्य के लिए आदर्श की तलाश करनी है तो वह आदर्श केवल गांधी हैं। गांधी स्थापित जन-नायक हैं, जबकि हमें नायक चुनने की आदत पड़ गई है। गांधी यदि हमारे समय में होते तो इन सब मिथकों को वो स्वयं ही तोड़ देते। गांधी जी धन एवं उत्पादन पर सामुहिक नियंत्रण की बात करते थे ताकि पूंजी का विनमय निचले स्तर तक हो।
उक्त विचार जन सांस्कृतिक मंच एवं जनवादी लेखक संघ द्वारा “हमारे समय में गांधी” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में संयुक्त महासचिव जनवादी लेखक संघ एवं जेएन पीजी कॉलेज लखनऊ के प्रो. नलिन रंजन सिंह ने व्यक्त किए, उन्होंने आगे कहा कि गांधी एक व्यक्ति नहीं एक विचारधारा का नाम है, असम्भव में भी सम्भावना का नाम है, इसीलिए उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए बगैर खड्ग और ढाल के हमें आजादी दिलाई।
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. आरके चतुर्वेदी ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि जन संगठन गांधी जी के विचारों को आम-जन तक ले जाएं। गांधी आज भी प्रासंगिक हैं और हमेशा रहेंगे। इससे पूर्व आगंतुकों का माला एवं पटुका पहनाकर स्वागत किया तथा जन सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष मुरारीलाल ने मुख्य अतिथि प्रो नलिन रंजन सिंह का परिचय दिया।
प्रश्नोत्तर के दौरान भी उपस्थित लोगों ने गांधी जी के सम्बंध में अनेक प्रश्नों के माध्यम से जिज्ञासा शांत करने का प्रयास किया। विषय प्रवर्तन डॉ. अशोक बंसल ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख उद्योगपति पवन चतुर्वेदी ने मुख्य अतिथि को पुस्तकें भेंट तथा इप्टा के डॉ. विजय शर्मा द्वारा दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया, इस अवसर पर दीपक गोयल, गौरव अग्रवाल एडवोकेट, रवि सरीन, मुनीश भार्गव, डॉ शालिनी माहेश्वरी, अंजू शर्मा, अनिता अग्रवाल, राजकिशोर, राहुल गुप्ता, इप्टा के अध्यक्ष योगेश शर्मा, सौरभ चतुर्वेदी, पवन सत्यार्थी, रेखा सक्सेना, डॉ अनिल दिनकर, राधामोहन सिंह तोमर, रविप्रकाश भारद्वाज, मोहनसिंह, विवेकदत्त मथुरिया, जितेन्द्र विमल, प्रियंका खंडेलवाल, कैलाश वर्मा आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. धर्मराज सिंह ने किया।