केडीएस इंटरनेशनल स्कूल में दस दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
विवेक दत्त मथुरिया (कार्यकारी संपादक)
मथुरा(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। ब्रज लोककला साधक विशेषज्ञ डॉ. सीमा मोरवाल ब्रज में विलुप्त हो चुकी चांचर नृत्य विधा को पुनर्जीवित करने के प्रयास में जुटी हैं। उत्तर प्रदेश जनजातीय कला संस्थान लखनऊ के तत्वाधान में ‘सृजन’ नमक 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन जयगुरुदेव आश्रम के नजदीक केडीएस इंटरनेशनल में किया जा रहा है।
इस कार्यशाला में प्रशिक्षक स्कूल के छात्रों को प्रशिक्षण देते हुए डॉ. सीमा मोरवाल ने बताया कि चांचर नृत्य कला कृष्णा कालीन है। गांव में गाय चराते समय कृष्ण ने कंस के असुरों से रक्षा हेतु यह युद्ध कला नृत्य के रूप में ग्वालों को सिखाई। जिससे वह अपनी आत्मरक्षा भी कर सके। साथ ही चाचर के रूप में ग्वालिने ने भी इस नृत्य को करती हैं जिसमें तालियो का प्रयोग बहुतायत किया जाता है।
चांचर का अर्थ है हाथ के प्रहार से या डंडों के प्रहार से ध्वनि उत्पन्न करना तथा खेलते-खेलते जो भी बालक पीछे रह जाता है। उसे नृत्य से बाहर कर दिया जाता है। ब्रज से यह कला कृष्ण के द्वारा चेदि प्रदेश बांदा क्षेत्र और गुजरात में भी पहुंची। आज से 20-25 वर्ष पूर्व यह नृत्य विधा ब्रज में प्रचलन में थी। लेकिन संरक्षण के अभाव में यह नित्य विद्या समाप्त हो चली अतः उत्तर प्रदेश जनजातीय कला संस्थान लखनऊ की ओर से विलुप्त कलाओं के संरक्षण हेतु यह प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा है।