गौतमबुद्धनगर (विवेक मथुरिया)। ग्राम जहांगीरपुर में आयोजित श्रीमद्भगवत कथा के प्रथम दिवस व्यास पीठ से भागवत प्रवक्ता चारू चर्चिका लाडली ने कहा कि श्रीमद भागवत साक्षात ठाकुर का ही रूप है। भागवत कथा के महत्व को विस्तार देते हुए आगे कहा कि भागवत कथा का श्रवण तब ही संभव है, जब आप पर ठाकुर की कृपा हो। श्रीमद भागवत का श्रवण मोक्षदाई है।
कथा प्रवक्ता चारु लाडली ने धुंधकारी के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि धुंधकारी अपने जीवन में अत्यंत दुराचारी और पापी था। अपनी कुसंगति और पाप कर्मों के कारण अकाल मृत्यु के बाद वह भयानक ‘प्रेत’ बना और कष्ट भोगने लगा। उसके विद्वान भाई गोकर्ण ने गया तीर्थ में श्राद्ध भी किया, लेकिन धुंधकारी के पाप इतने घने थे कि उसे मुक्ति नहीं मिली। धुंधकारी ने स्वयं अपने भाई से अपनी पीड़ा बताई और मुक्ति की गुहार लगाई। सूर्यदेव की सलाह पर, गोकर्ण ने श्रीमद्भागवत कथा का सात दिवसीय अनुष्ठान किया। चूंकि धुंधकारी का शरीर नहीं था, इसलिए वह वायु रूप में सात गांठों वाले एक बांस के छिद्र में बैठकर कथा सुनने लगा।कथा के प्रभाव से प्रतिदिन बांस की एक गांठ फटती गई। सातवें दिन सातों गांठें फट गईं और धुंधकारी प्रेत योनि से मुक्त होकर दिव्य रूप धारण कर बैकुंठ धाम को प्राप्त हुआ।
कथा शुभारंभ से पूर्व बड़ी संख्या में महिलाओं ने बैंड बाजों के साथ कलश यात्रा निकाल कर गांव की परिक्रमा की। उसके बाद कथा आयोजक मुनिराज राजौडा और उनकी पत्नी बीना देवी ने व्यासपीठ मंत्रोच्चार के मध्य पूजा अर्चना की।