
सुबह श्याम सगाई और शाम को नौका विहार….लीला अपरंपार
आज विहाबलौ होत है, सखिगिरी ललिता संग
विवेक अग्रवाल ‘विक्की’
बरसाना(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। बरसाना के समीप स्थित ऊंचा गांव में श्याम सगाई, राधा जी की गोद भराई, लगन पत्रिका के साथ साथ ललिता जी की ब्याहवला की लीला आयोजित की गई। शाम को प्रिया कुंड में राधा कृष्ण जुगल जोड़ी सरकार के विग्रह को नौका विहार कराया गया। राधा कृष्ण की प्राचीन लीलाओं को जीवंत देखने के लिए दूर दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

यशोदा मैया के लाडले नटखट कान्हा की बाल लीलाओं का साक्षी वैसे तो पूरा ब्रजमंडल है, लेकिन बरसाना की गोपिकाओं के साथ कान्हा की अद्भुत और मनमोहक लीलाओं की साक्षी सिर्फ बरसाना की प्राचीनलीला स्थली हैं। ऐसी एक लीला कान्हा ने द्वापरयुग में ऊंचागांव के सखिगिरी पर्वत पर ललिता सखी से विवाह रचाकर की थी। आज भी जब इस लीला का मंचन होता है तो द्वापरकालीन लीला जीवंत हो उठती है।

बरसाना से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऊंचागांव जहां राधारानी की प्रधान सखी ललिता का निज धाम है। गांव में स्थित सखिगिरी पर्वत आज भी ललिता व कृष्ण के दिव्य विवाह का साक्षी है। इस पर्वत पर कृष्ण कालीन कई दिव्य चिन्ह भी आज भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराते हैं। दाऊजी मंदिर में श्याम सगाई और राधा की गोद भराई का आयोजन श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर देता है। गोस्वामी कृष्णानंद भट्ट, उपेंद्र भट्ट, घनश्याम राज भट्ट, रोहित भट्ट, अरुण भट्ट, दिलीप भट्ट, सर्वेश भट्ट और दिनेश भट्ट पूरे परिवार के साथ राधा रानी की गोद भराई कराते हैं।

श्रील नारायण भट्ट की समाधि स्थल पर लगन पत्रिका कार्यक्रम के आयोजन के बाद सखिगिरी पर्वत पर भगवान श्रीकृष्ण ललिता सखी के साथ विवाह बंधन में बंधते है।
आज विहाबलौ होत है सखिगिरी ललिता संग, अन्य सखी भावरि लेत है वाहि के संग।
इस पद के अनुसार ललिता सखी सहित अन्य सखियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने इसी सखिगिरी पर्वत पर सात फेरे लिये थे।

आज भी भादों सुदी के द्वादशी को एक बार फिर यह दिव्य लीला ऊंचागांव में स्थित सखिगिरी पर्वत पर जीवंत हो उठी। सखिगिरी पर्वत राधा कृष्ण के जयकारों से गूंज उठा। इन द्वापरकालीन लीलाओं में हर कोई भागीदारी को लालायित दिखाई दिया और सभी श्रद्धालुओं ने कन्या दान कर अपने आप को कृतार्थ किया। कन्यादान के बाद सखी मंदिर पर कुंवर कलेऊ अर्थात जलपान के साथ लीला सम्पन हो जाती है ।

फिसलनी शिला है दर्शनीय
बरसाना। ऊंचागांव में सखिगिरी पर्वत पर स्थित फिसलनी शिला है जो पत्थर की है। कहा जाता है कि द्वापरकाल में भगवान श्रीकृष्ण अपनी गोपिकाओं के साथ खेलते हुए यहां फिसला करते थे। फिसलने से वो शिला चिकनी हो गयी जो आज भी किसी मार्बल के पत्थर की तरह चिकनी है। इस शिला में आज भी पूर्णिमा की चांदनी रात में महारास का चित्रण दिखाई देता है । वहीं तेज धूप में इस शिला में कई आकृति दिखाई देती है इसलिए इस शिला को चित्र विचित्र शिला भी कहा जाता है।

प्रिया कुंड में किया नौका विहार
बरसाना। शाम को प्रिया कुंड पर ठाकुर जी की नौका विहार लीला का आयोजन किया गया। शाम करीब पांच बजे प्रिया-प्रियतम के श्रीविग्रह को डोला में बैठाकर बैंड-बाजों के साथ शोभायात्रा सुदामा मोहल्ला से प्रिया कुंड पहुंचती है। शोभायात्रा के दौरान जगह जगह श्रद्धालुओं के द्वारा पुष्प बरसा कर स्वागत किया गया। प्रिया कुंड पर राधा कृष्ण के विग्रह की आरती होती है और उसके बाद श्रीविग्रह को नाव में विराजमान कर नौका विहार कराया गया। प्रिया कुंड के चारो तरफ श्रद्धालुओं की आवाज में सिर्फ राधे कृष्णा के जयकारे सुनाई देते है।
