जलेस ने मनाई कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती
मथुरा(ब्रज ब्रेकिंग न्यूज)। जनवादी लेखक संघ मथुरा इकाई द्वारा “प्रेमचंद के साहित्य में स्वातांत्रिक एवं मानवीय मूल्य” विषय पर परिचर्चा महाविद्या कॉलोनी स्थित डे केयर होम में आयोजित की गई। परिचर्चा में प्रख्यात आलोचक व आगरा कॉलेज, आगरा के प्रोफेसर डॉ. प्रियम अंकित ने शिरकत की, उन्होंने विषय पर बोलते हुए कहा कि जिस प्रकार प्रेमचंद अपने साहित्य में ‘पंच परमेश्वर’ के द्वारा न्याय की बात करते हैं, वो न्याय आज हमारे जीवन एवं अदालत दोनों से गायब हो गया है, जबकि सच्चाई यह है कि न्याय ही है, जो हमें आदमी बनाता है, न्याय स्वातांत्रिक एवं मानवीय मूल्यों की बुनियाद है तथा न्याय बोध के बिना स्वतंत्रता एवं मानवीय मूल्यों की रक्षा संभव नहीं।
प्रेमचंद के स्त्री पक्ष पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्त्री विमर्श की बात सब करते हैं किंतु पुरुष सत्तात्मक व्यवस्था में कामकाजी स्त्री का जीवन लक्ष्य नहीं, उपलक्ष्य बन कर रह गया है, इसलिए स्त्रियों को प्रेमचंद की कहानियों के पात्रों से सीखना चाहिए। विद्यार्थियों के लिए प्रेमचंद मात्र पाठ्यक्रम का एक हिस्सा भर हैं, उन्हें प्रेमचंद से मतलब केवल परीक्षाओं तक है, यही बड़ी गलती है, जो बुनियादी है, अब हमें प्रेमचंद को ढूंढ़ना पड़ता है, हमारे जीवन में कहाँ हैं प्रेमचंद, सच यह है कि वर्तमान समय में अनाम पते के निवासी बनकर रह गए हैं प्रेमचंद।
परिचर्चा का प्रारंभ प्रेमचंद जी की अप्राप्य कहानी “खेल” का पाठन अंजू मिश्रा द्वारा किया गया, जिसे काफी सराहना मिली। परिचर्चा में डॉ. अनिल दिनकर, सौरव चतुर्वेदी, मुनीश भार्गव, विजय विद्यार्थी, रविप्रकाश भारद्वाज, अंजू मिश्रा, माधव चतुर्वेदी, जगवीर सिंह, डॉ. देवेन्द्र गुलशन, पत्रकार विवेकदत्त मथुरिया, डॉ. मेनिका गुप्ता, डॉ. नीतू गोस्वामी, कैलाश वर्मा, राहुल गुप्ता, बृषभानु गोस्वामी आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता जनवादी लेखक संघ मथुरा इकाई के अध्यक्ष टिकेंद्र सिंह ‘शाद’ ने की तथा संचालन डॉ. धर्मराज सिंह ने किया।