वृंदावन (ब्रज ब्रेकिंग न्यूज़)। गोदा विहार स्थित ब्रज संस्कृति शोध संस्थान में शनिवार को ब्रज के इतिहास पर केंद्रित परिसंवाद “ब्रजतत्व मीमांसा :सांस्कृतिक, ऐतिहासिक तथा रस दृष्टि के आलोक में ” विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें शोधअध्येताओं ने अपने शोध पत्र का वाचन किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृति अध्ययन केंद्र, सरयू फाउंडेशन की निदेशक डॉ. रिंकू वढेरा ने कहा कि वर्तमान समय मे ब्रज के ऊपर शोध करने की प्रवृत्ति में परिवर्तन आया है। शोध अध्येता बड़ी गहराई से अध्ययन कर अपने शोध पत्रों को पढ़ रहे हैं। ब्रज संस्कृति शोध संस्थान ब्रज विषयक संगोष्ठियों का आयोजन कर शोध अध्येताओं को मंच उपलब्ध कराता है।
संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी ने कहा कि ब्रज संस्कृति शोध संस्थान विगत 11 वर्षों से ब्रज के इतिहास,संस्कृति, पुरातत्व के ऊपर कार्य कर रहा है।संगोष्ठी में सर्वप्रथम डॉ. स्वाति गोयल ने “ब्रजभूमि के पवित्र भूगोल का निर्माण वैचारिक धरातल और ऐतिहासिक सन्दर्भ” पर अपने विचार व्यक्त किये। स्नेहा नगरकर ने हरिवंश पुराण में चित्रित ब्रज प्रदेश: एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिशीलन, शोभना सिन्हा ने वृंदावन की रस भक्ति -एक अन्वेषण तथा सुरभि पांडेय ने ” अठारहवीं सदी के ब्रज की समझ : तीर्थयात्रा का इतिहास तथा गत्यात्मकता बिषय पर अपने शोध पत्रों पर वाचन किया। संगोष्ठी का शुभारंभ प्रकाशन अधिकारी गोपाल शरण शर्मा द्वारा मंगलाचरण कर हुआ।इस अवसर पर डॉ.कृष्णचंद्र गोस्वामी, डॉ. जयेश खण्डेलवाल, विष्णुमोहन नागार्च, डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, राजेन्द्र वर्मा, योगेंद्र सिंह छौंकर, वर्षा आचार्य तिवारी, यतेंद्र तिवारी, विश्वजीत दास, ब्रजगोपाल गुप्ता चित्रकार, यश सोनी आदि उपस्थित थे।कार्यक्रम का संयोजन गोपाल शरण शर्मा ने एवं संचालन अमनदीप वशिष्ठ ने किया।